हवा का ज़ोर वर्षा की झड़ी, झाड़ों का गिर पड़ना
कहीं गरजन का जाकर दूर सिर के पास फिर पड़ना
उमड़ती नदी का खेती की छाती तक लहर उठना
ध्वजा की तरह बिजली का दिशाओं में फहर उठना
ये वर्षा के अनोखे दृश्य जिसको प्राण से प्यारे
जो चातक की तरह तकता है बादल घने कजरारे
जो भूखा रहकर, धरती चीरकर जग को खिलाता है
जो पानी वक्त पर आए नहीं तो तिलमिलाता है
अगर आषाढ़ के पहले दिवस के प्रथम इस क्षण में
वही हलधर अधिक आता है, कालिदास से मन में
तो मुझको क्षमा कर देना।
Explanation:
Hindi: हवा बहुत तेज़ है और बारिश की तेज बूँदें पड़ रही हैं। पेड़ों की पत्तियाँ झड़ रही हैं।
English: The wind is strong, rain is falling in heavy showers, and leaves are falling from trees.
Hindi: कहीं दूर से गरज सुनाई देती है, फिर पास आती है।
English: Thunder is heard from afar, then it comes closer.
Hindi: नदी का पानी बढ़ रहा है और खेतों तक पहुँच रहा है।
English: The river swells and its waves reach up to the fields.
Hindi: बिजली झंडे की तरह चारों दिशाओं में चमक रही है।
English: Lightning flashes in all directions like a flag
Hindi: ये बारिश के अद्भुत दृश्य जीवन से बहुत प्रिय हैं।
English: These unique scenes of rain are very dear to life.
Hindi: चातक पक्षी की तरह, जो हमेशा घने बादलों की ओर देखता है, कवि भी बारिश की प्रतीक्षा करता है।
English: Like the Chatak bird that watches the dark clouds, the poet waits for rain.
Hindi: बारिश कभी देर से आती है (भूखा रहना), लेकिन जब आती है तो धरती को सींचती है और जीवन देती है।
English: Though it delays (stays hungry), rain pierces the earth and nourishes the world.
Hindi: अगर बारिश समय पर नहीं आती, तो लोग परेशान हो जाते हैं।
English: If rain does not come on time, everyone becomes restless.
Hindi: अगर कवि को बारिश देखकर महान कवि कालिदास की याद आती है, तो उसे माफ़ कर देना।
English: If, on the first day of Ashadh, thoughts of Haladhar or Kalidas come to my mind, forgive me.
यह कविता आषाढ़ के पहले दिन बारिश के दृश्य और महत्व को दर्शाती है। कवि बारिश के अनोखे दृश्य देखकर किसान और प्रकृति की याद करता है।
भाव: बारिश जीवन और आशा का प्रतीक है।
शब्दार्थ:
ज़ोर - तेज़ी
झड़ी - हल्की किंतु लगातार वर्षा
झाड़ - कंटीले पौधों का समूह
गरजन - बादलों की गड़गड़ाहट
ध्वजा - झंडा
फहरना - हवा में लहराना
ताकना - देखना
कजरारे - काजल जैसे काले
तिलमिलाना - बेचैन होना
क्षण - पल
चातक - पपीहा (ऐसा कहा जाता है कि यह पक्षी केवल स्वाती नक्षत्र में होने वाली वर्षा का जल पीता है इसलिए सदा बादलों की ओर टकटकी लगाए रहता है।)
हलधर - किसान
1. पाठ से
(क) किसान को बादलों का इंतज़ार क्यों रहता है?
जवाब: कवि कहता है कि बारिश (वर्षा) ही धरती को जीवन देती है और फसलों को बढ़ने में मदद करती है। इसलिए किसान बादलों का बेसब्री से इंतज़ार करते हैं।
(ख) कवि को वर्षा होने पर किसान की याद क्यों आती है।
जवाब: बारिश देखकर कवि को किसान की मेहनत और उनकी उम्मीदें याद आती हैं। वह सोचता है कि किसान बारिश के लिए कितना प्रतीक्षा करते हैं।
(ग) कवि ने किसान की तुलना चातक पक्षी से क्यों की है?
जवाब: चातक पक्षी केवल बारिश के पानी पर जीवित रहता है और बारिश का बेसब्री से इंतजार करता है। किसान भी फसलों के लिए बारिश का इंतजार इसी तरह करते हैं। इसलिए कवि ने तुलना की।
2. पाठ से आगे
(क) कवि ने कविता में वर्षा ऋतु का वर्णन किया है। वर्षा ऋतु के बाद कौन-सी ऋतु आती है? उसके बारे में अपना अनुभव बताओ।
जवाब: वर्षा ऋतु के बाद शरद ऋतु आती है। शरद ऋतु में मौसम ठंडा और सुखद होता है, हवा साफ़ और ताजी होती है, और दिन अच्छे लगते हैं।
(ख) वर्षा ऋतु से पहले लोग क्या-क्या तैयारियाँ करते हैं? उनमें से कुछ लोगों के बारे में जानकारी एकत्र कर सूची बनाओ।
जवाब: किसान अपने खेत तैयार करते हैं। घर के लोग छत, नाली और पानी का इंतज़ाम करते हैं। व्यापारी और दुकानदार स्टॉक तैयार करते हैं। कुछ लोग बारिश के कपड़े और छतरियाँ तैयार रखते हैं।